गो रक्षा – हमारा परम कर्तव्य - Gau Raksha Dal

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गो रक्षा – हमारा परम कर्तव्य

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गायकी सेवा करनेसे सब कामनाए सिद्ध होती हैं । गायको सहलानेसे, उसकी पीठ आदिपर हाथ फेरनेसे गाय प्रसन्न होती हैं । गायके प्रसन्न होनेपर साधारण रोगोंकी तो बात ही क्या हैं , बड़े – बड़े असाध्य रोग भी मिट जाते हैं । लगभग बारह महीनेतक करके देखना चाहिए।
गायके दूध , घी, गोमूत्र आदिमे जीवनी-शक्ति रहती हैं । गायके घीके दीपकसे शांति मिलती है । गायका घी लेनेसे विषैले तथा नशीली विस्तुका असर नष्ट हो जाता हैं । परन्तु बुद्धि अशुद्धि होनेसे अछि चीज भी बुरी लगती है, गायके घीसे भी दुर्गन्ध आती हैं ।

गो रक्षा – हमारा परम कर्तव्य

 



गाय और माय बेचनेकी नहीं होती

गाय और माय बेचनेकी नहीं होती ।  जबतक गाय दूध और बछड़ा देती है, बैल काम करता है, तबतक ओंको रखते है ।  जब वे बूढ़े हो जाते है, तब  बेच देते है । यह कितनी कृतघ्नताकी  बात है ।  कितने पाप की बात है । गांधीजी ने नवजीवन अख़बार में लिखा था के बूढा बैल जितना गोबर और गौमातरं करता है उससे कम खर्चा करता है ।  जितना घास खाता है उतना गोबर और गौमूत्र कर देता है ।
राजस्थान में कई जगह ऐसा हुआ है की बिजली चली जाती है, जिससे टोटीमे  जल आना बंद हो जाता है और जल के बिना लोग दुःख पाते है , पहले घरो में बैल होते, लाव (रस्सी) और चरस होता,  जिससे कुए में से पानी  निकाल लेते थे ।



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